आज आपको एक ऎसी प्रतिभावान 80 वर्षीय दादी चंद्रो तोमर के बारे में बता रहे है जो उम्र के इस पडाव में भी नवयुवकों व नवयुवतियों में राइफल शूटिंग की अलख जगा रही है। यह शूटर दादी बागपत बडौत कोतवाली क्षेत्र के एक छोटे से गांव जोहडी की रहने वाली है। उम्र के जिस पडाव पर लोग जिंदगी से हार मान लेते हैं, चंद्रो तोमर जिंदादिली की अनोखी मिसाल हैं। चंद्रो दुनिया की सबसे उम्रदराज महिला शार्प शूटर होने का दावा करती हैं।
6 बच्चों की मां और 15 पोते-पोतियों की दादी चंद्रो तोमर दो दर्जन से ज्यादा नेशनल चैम्पियनशिप अपने नाम कर चुकी हैं। लगभग 10 साल पहले जब चंद्रो गांव में स्थित फायरिंग रेंज में गईं, तो वे काफी शर्मा रहीं थीं। इसलिए वे अपनी एक पोती को साथ लेकर गईं। चंद्रो बताती हैं कि क्लब के कोच ने जब उन्हें देखा तो वह चौंक गया, लेकिन मेरी पोती ने मुझे सपोर्ट किया। मैं हर सप्ताह क्लब में जाने लगी। ग्रामीण अंचल की रहने वाली सैकडों युवतियां दादी से राइफल शूटिंग का प्रशिक्षण पाकर एयरफोर्स व पुलिस को ज्वॉइन कर अधिकारी बन गईं। जिस उम्र में आदमी चल नहीं पाता आज भा दादी उस उम्र में छात्रों को राइफल शूटिंग का प्रशिक्षण दे रही हैं।
दर्जनों निशानेबाजों ने अर्जुन अवॉर्डी व रजत पदक जीते हैं। दादी से प्रेरित होकर क्षेत्र की छात्राएं भी शूटिंग के गुर सीख रही हैं और निशानेबाजी में करियर की तलाश कर रही है। प्रतिभावान दादी चन्द्रो का कहना है कि आज महिलाएं पुरूषों से किसी भी काम में पीछे नहीं हैं फिर शूटिंग के क्षेत्र में सिर्फ पुरूषों का ही आधिपत्य क्यों हो। मैं आज की नारी को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाना चाहती हूं।
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