अंतरिक्ष- में भारत की बड़ी कामयाबी

श्रीहरिकोटा- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन  ने आज कामयाबी के एक और मील का पत्थर स्थापित करते हुए देश के पहले ‘एस्ट्रोसैट’ उपग्रह पीएसएलवी-सी30 का प्रक्षेपण कर इतिहास रच दिया। यह भारत का पहला एस्ट्रोसैट उपग्रह है और इससे ब्रहांड को समझने और सुदूरवर्ती खगोलीय पिंडों के अध्ययन करने में में मदद मिलेगी। 513 किलोग्राम का एस्ट्रोसैट उपग्रह को 6 अन्य विदेशी उपग्रहों के साथ प्रक्षेपित किया गया।  इसरो के वरिष्ठ वैज्ञानिकों और इसके अध्यक्ष ए.एस किरण कुमार की निगरानी में इस ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान  को श्रीहरिकोटा से प्रक्षेपित किया गया। प्रक्षेपण के बाद इन सातों उपग्रहों को सफलता पूर्वक अपनी कक्षा में स्थापित कर दिया गया। ‘एस्ट्रोसैट’ खगोलीय पिंडों के अध्ययन करने वाला भारत का पहला उपग्रह है। इस उपग्रह के सफलता पूर्वक लॉन्च के साथ इसरों ने कामयाबी का एक और मील का पत्थर स्थापित किया। 


इसरो चेयरमैन ए. एस. किरन कुमार के मुताबिक, भारत 19 देशों के 45 सैटेलाइट्स लांच कर चुका है और ये पहली बार है कि अमेरिका किसी सैटेलाइट लाचिंग के लिए भारत की मदद ली है। अमेरिका 20वां देश है, जो कमर्शियल लांच के लिए इसरो से जुड़ा है। भारत से पहले अमेरिका, रूस और जापान ने ही स्पेस ऑब्जर्वेटरी लांच किया है। 

इसरो के मुताबिक, इस मिशन का मकसद स्पेस से सैटेलाइट के जरिए धरती पर होने वाले बदलावों का साइंटिफिक एनालिसिस करना है। एस्ट्रोसैट के जरिए अल्ट्रावायलेट रे, एक्स-रे, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम जैसी चीजों को यूनिवर्स से परखा जाएगा। इसके साथ ही, मल्टी-वेवलेंथ ऑब्जर्वेटरी के जरिए तारों के बीच दूरी का भी पता लगाया जाएगा। इससे सुपर मैसिव ब्लैक होल की मौजूदगी के बारे में भी पता लगाने में मदद मिल सकती है।

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