कानपुर- विकास प्राधिकरण में सैंकड़ों की तादाद में फाईलें गुपचुप तरीके से नष्ट की जा रही हैं। मामले को मीडिया तक पहुंचाने के आरोप में आज एक कर्मचारी नेता और चीफ इन्जीनियर के बीच हाथापाई तक की नौबत आ गई। यह फाईलें किसी घोटाले का सबूत थीं , या किसी साजिश के तहत इन्हें पानी में गलाया जा रहा था, इस पर केडीए उपाध्यक्ष ने जांच समिति गठित कर दी है। कानपुर विकास प्राधिकरण प्रांगण के पीछे पड़ी ये लावारिस फाईलें कोई रद्दी कागज नहीं बल्कि अरबों की जमीनों से सम्बन्धित अहम दस्तावेज हैं। इन्हें ऐसी जगह डाल दिया गया है जहां इन पर पानी गिर रहा है और धीरे धीरे इन्हें नष्ट किया जा रहा है।केडीए सूत्र कहते हैं कि इन फाईलों में कुछ फाइले ऐसी भी हैं जो भूमि घोटालों के ऐसे मामले से जुड़ी हैं जिन पर उच्च स्तरीय जाॅच चल रही है। केडीए के कर्मचारी नेता तो यहां तक कह रहे हैं कि फाईलें नष्ट कराने के पीछे भू माफियाओं और ठेकेदारों का हाथ है। अब अगर कभी जांच अधिकारी के समक्ष सबूत पेश करने की बात आई तो रिकार्ड नष्ट हो जाने की बात कहकर माफियाओं से सांठगांठ रखने वाले कई अधिकारी साफ बच जायेगें। फाईलों के यूं नष्ट होने की बात जब मीडिया तक पहुंची तो केडीए के चीफ इन्जीनियर प्राधिकरण के एक कर्मचारी नेता से जमकर उलझे और गाली गलौज के बीच मारपीट की नौबत आ गई।
मामले की तह तक जाने के लिए अब एक संयुक्त सचिव की निगरानी वाली जांच समिति बना दी गई है। ऐसा माना जाता रहा है कि सरकारी दफ्तरों में लगने वाली आग की घटनाएं अक्सर फाईलों को नष्ट करने के लिए होती हैं, लेकिन पानी के पाईप के नीचे यूं फाईले गलने के लिए छोड़ देने का कारनामा पहली बार सामने आया है।
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