कांग्रेस उम्‍मीदवार- को मैदान से हटाने के लिए बीजेपी ने....

 छत्तीसगढ़- में एक साल पहले हुए उप विधानसभा चुनावों में उस वक्त बीजेपी ने जीत हासिल की थी जब कांग्रेस के उम्मीदवार ने ऐन मौके पर अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली थी।प्रदेश के बड़े नेताओं के बीच फोन पर हुई बातचीत की कई टेप सामने आई हैं, जिनसे आशंका जताई जा रही है कि अपना नाम वापस लेने के लिए पैसों का लेनदेन किया गया था। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक बातचीत की रिकॉर्डिंग 2014 की है।यह बातचीत पूर्व मुख्‍यमंत्री अजित जोगी, उनके बेटे अमित जोगी और मुख्‍यमंत्री रमन सिंह के दामाद पुनीत गुप्‍ता के बीच है। एक टेप में कांग्रेस उम्‍मीदवार मंटूराम पवार  और जोगी के विश्‍वासपात्र रहे फिरोज सिद्दीकी की बातचीत है। पवार की सिद्दीकी से, सिद्दीकी की जोगी के एक और विश्‍वासपात्र अमीन मेमन से और अमित जोगी व सिद्दीकी की बातचीत के टेप भी हैं। ज्‍यादातर टेप अगस्‍त 2014 के आखिरी सप्‍ताह में हुई बातचीत के हैं।बातचीत से ऐसा लगता है कि मंटूराम पवार को अंटागढ़  के चुनावी मैदान से हटाने के लिए डील हुई थी। कांकेर जिले की इस सीट पर 13 सितंबर, 2014 को वोटिंग हुई थी। वहां के भाजपा विधायक विक्रम उसेंडी मई में लोकसभा चुनाव जीत गए थे। इसलिए वहां चुनाव हुए थे। उपचुनाव से संबंधित जो टेप मिले हैं उनमें बार-बार सीएम हाउस का जिक्र है।अखबार ने जो रिकॉर्डिंग जारी की है उसमें बार बार पैसों का भी जिक्र हो रहा है। पुनीत गुप्ता से हो रही एक रिकॉर्डिंग में अजित जोगी के बेटे अमित जोगी कह रहे हैं कि वो दस की उम्मीद कर रहे हैं। हमें सात तक जाना होगा। हमें उन्हें नीचे लाना होगा लेकिन इतना भी नहीं कि वो भाग ही जाए। एक और बातचीत में अमित जोगी रमन सिंह की पत्नी वीना सिंह की सेहत का हाल पूछ रहे हैं। वो वीऩा को आंटी कह रहे हैं और पुनीत गुप्ता अमित जोगी को भइया और अजित जोगी को अंकल पुकार रहे हैं। जिस समय ये लेन देन चल रहा था उस समय रमन सिंह की पत्नी का इलाज विदेश में चल रहा था।इस दावे पर अजित जोगी ने कहा है कि उनके और उनके बेटे की ओर से अखबार के खिलाफ मानहानी का मुकदमा किया जाएगा। ये खबर पूर्णतया आधारहीन और गलत है। टेप में उनकी आवाज नहीं है।वहीं, तत्कालीन कांग्रेस उम्मीदवार मंतूराम पवार ने आरोपों को खारिज किया। उन्होंने कहा कि टेप में उनकी आवाज नहीं है। उन्होंने कहा कि फिरोज सिद्दीकी से इस सिलसिले में कभी कोई बातचीत नहीं हुई। उन्होंने पहले ही चुनाव न लड़ने का मन बना लिया था।मंतूराम पवार ने नारायणपुर विधानसभा से 1990 में सीपीआई से चुनाव लड़ा था। इसके बाद 1993 से 2013 तक कांग्रेस की टिकट से पांच बार चुनाव लड़े, जिसमें से 1998 में ही वे चुनाव जीते थे। 2008 में परिसीमन के बाद अंतागढ़ विधानसभा अस्तित्व में आया। इस चुनाव में पवार केवल 191 वोट से पीछे रहे थे। वीडियो देखने के लिए ऊपर या नीचे लिंक पर क्लिक करें 

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