बॉम्बे हाई कोर्ट ने शुक्रवार को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए हाजी अली दरगाह में महिलाओं की एंट्री पर से बैन हटा दिया है। कोर्ट ने कहा कि संविधान में महिलाओं और पुरुषों को बराबरी का दर्जा मिला है। जब पुरुषों को इसके अंदर जाने की अनुमति है तो महिलाओं को भी अंदर जाने दिया जाना चाहिए। हाई कोर्ट ने कहा कि महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध संविधान में दिए गए मूलभूत अधिकारों का विरोधाभासी है। तृप्ति देसाई और भूमाता ब्रिगेड की कार्यकर्ता ने गुलाल उड़ाकर हाई कोर्ट के फैसले का जश्न मनाया। तृप्ति देसाई ने ऐलान किया है कि वह रविवार को सम्मानपूर्वक दरगाह में एंट्री करेंगे। देसाई ने खुशी जताते हुए कहा कि कोर्ट ने हमें हमारा अधिकार वापस दिया है। जो अधिकार अभी तक हमसे छीना जा रहा था वो कोर्ट ने वापस दिया है। हमें बेहद खुशी है। यचिकाकर्ता के वकील राजू मोरे ने कहा कि कोर्ट ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाजी अली में महिलाओं को प्रवेश की इजाजत दे दी है। मुस्लिम महिला आंदोलन का जो कहना था उसको मानते हुए कोर्ट ने पाबंदी को हटा दिया है।एमआईएम पार्टी के नेता हाजी रफत हुसैन ने कोर्ट के फैसले पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि कोर्ट को बीच में नहीं आना चाहिए था। हम इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जाएंगे। वहां बैन लगा है तो वो रहना चाहिए था। कोर्ट का बीच में आना धर्म के खिलाफ है। कोर्ट को इतनी
जल्दबाजी दिखाने की क्या जरूरत थी?
बॉम्बे HC- का ऐतिहासिक फैसला अब हाजी अली दरगाह में ....
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